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Om Shanti
09.09.2018
★【 आज का पुरूषार्थ】 ★
बाबा ने कहा…
देखो बच्चे, बाप आप बच्चों को सर्वशक्तिमान् बना रहा है।
फिर एक है सर्वशक्तिमान् और दूसरा है शक्तिमान्…।
• शक्तिमान् अर्थात् अपनी शक्तियों का अपनी कर्मन्द्रियों द्वारा किसी भी रीति प्रदर्शन कर positive रूप से आत्माओं का कल्याण करना…।
• और दूसरा है … सर्वशक्तिमान् अर्थात् बाप-समान स्थिति अर्थात् बेहद की शक्तियाँ होते हुए भी सभी शक्तियों को स्वयं में समा लेना अर्थात् अपनी शक्तियों का प्रयोग सूक्ष्म रीति करना…।
देखो बच्चे, आपको आपका बाप स्वयं से भी ऊँचा बना रहा है और यह कार्य केवल मैं (परमात्मा शिव) ही कर सकता हूँ…।
आप बच्चों को इस तमोप्रधान दुनिया के बीच रख आपको सर्वशक्तिमान् बना देता हूँ … अर्थात् सभी आत्माओं की कर्म कहानी को भली-भान्ति जानते हुए अर्थात् उनके संकल्पों में क्या चल रहा है, यह जानते हुए भी आप बिल्कुल शान्त स्थिति में स्थित रहते हो क्योंकि आपके अन्दर प्रेम की गंगा बह रही होती है…।
और आपको इस बात का भी ज्ञान है कि पाँच तत्वों के तन द्वारा अपनी शक्तियों को use करते ही हमारी सूक्ष्म शक्ति की कमाल बहुत कम रह जायेगी…।
इसलिए आप शान्त स्थिति में स्थित रह अपने संकल्पों की power द्वारा सभी आत्माओं के कल्याण के निमित्त बनते हो।
जिसे जिस दिव्य गुण वा शक्ति की ज़रूरत होती है, उसे वही गुण और शक्ति का दान दें, उसके कल्याण के निमित्त बन जाते हो…।
देखो, तब ही तो बाप बार-बार कहता है कि अब अन्तर्मुखी बनो, ताकि आपकी सूक्ष्म सेवा की कमाल शुरू हो…।
बस बच्चे, जब आप अपनी सूक्ष्म शक्तियों की कमाल को भली-भान्ति जान लोगे अर्थात् आपके अन्दर से पूर्ण रीति acceptance आ जायेगी कि विश्व-परिवर्तन का कार्य तो इसी रीति होगा, तो आपका सम्पन्न स्वरूप आपको धारण कर अपना कार्य शुरू कर देगा…।
अच्छा। ओम् शान्ति।
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