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*Om Shanti*
*07.02.2018*
★【 *आज का पुरुषार्थ* 】★
शिवबाबा ने बच्चों की लगन को देखा कि बच्चों के अन्दर एक ही लगन है कि बाप जैसे कहे वैसे करना ही है। हमें ऊँच से ऊँच पुरूषार्थ करना ही है और कर भी रहे हैं। बस बच्चे अपने पुरूषार्थ को दृढ़ता पूर्वक आगे से आगे बढ़ाते रहना है … ना ही अलबेला होना है … और ना ही दिलशिकस्त … और ना ही हार खानी है। हमेशा संकल्पों में यह ही रहे कि – *‘‘मैं एक विजयी रत्न आत्मा हूँ…, मुझे स्पेशल भगवान पढ़ाने के लिए आया है…, मेरे से ज्यादा भाग्यवान दुनिया में कोई नहीं…*’’
ऊँच संकल्प ही ऊँच पुरूषार्थ का आधार है…।
देखो बच्चे, यह मार्ग ऊँचाई का है अर्थात् चढ़ाई का है … यह मार्ग खुशियों, आनन्द और प्राप्तियों से भरपूर है और शिव बाप जब स्वयं अंगुली पकड़कर चला रहा है तो क्या मुश्किल है…?
बस, बाप की समझानी को साथ रख चलते चलो।
दूसरी तरफ, वह दुनिया में जाने का जो रास्ता है, वह निचाई का है अर्थात् देखने में आकर्षक लगता है, परन्तु वह रास्ता दुःखों से, काँटों से भरपूर है। उस रास्ते में जाना अर्थात् दुःखों को, मुश्किलों को आमन्त्रित करना और साथ ही साथ कल्प-कल्प के लिए अपने भाग्य को गंवा देना है ।
दुनियावी मार्ग इस समय सभी को अपनी ओर खींच रहा है और इस समय जो बच्चा minor सा भी अपनी मन-बुद्धि को इस जड़-जड़ीभूत दुनिया में फँसायेगा, वह तो बुरी तरह ही फँस जायेगा, फिर उससे निकलना नामुमकिन है…।
इसलिए, स्वयं ही स्वयं की सम्भाल कर अपना तन-मन-धन-जन, बुद्धि, कमी-कमज़ोरी अर्थात् संकल्पों सहित, शिव बाप पर समर्पण हो जाओ…।
फिर ही बाप आप बच्चों का ज़िम्मेवार बन आपकी सूक्ष्म और स्थूल इच्छाओं को पूर्ण कर आपको अपनी मंज़िल तक पहुँचा देगा … परन्तु पुरूषार्थ धैर्यता पूर्वक करना है।
बस शिव बाप के संग चलते चलो, फिर पहुँचें कि पहुँचें…।
अच्छा । ओम् शान्ति ।
【 *Peace Of Mind TV* 】
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