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Om Shanti
06.05.2018
★【 आज का पुरुषार्थ 】★
बच्चे, यह सारा ज्ञान जो तुम्हें बाप (परमात्मा पिता) स्मृति दिला रहे हैं … वो तुम्हारे अन्दर समाया हुआ है ।
बस बाप तो निमित्त बन तुम्हें स्मृति दिला रहा है…।
जितना-जितना तुम अपनी position के स्मृति स्वरूप बनते जाओगे … उतना ही तुम्हें अपने कर्तव्यों और authority की याद आती जायेगी।
फिर यह छोटी-छोटी सी परिस्थितियाँ ऐसे solve होगी जैसे मक्खन से बाल निकालते है…।
जैसे मान लो दुनिया का सबसे अमीर आदमी किसी कारण अपनी याददाश्त भूल जाता है और एक मज़दूर के घर रहने लग जाए तो उसके संस्कार royal अवश्य होंगे…।
फिर भी मज़दूर के घर रहने के कारण वह उन्हीं परिस्थितियों में फँस जाता है परन्तु जब कोई उसे उसकी position की स्मृति दिलाता है और जब तक उसे full स्मृति नहीं आती तब तक वह छोटी-छोटी बातों में फँसा रहता है, परन्तु स्मृति आते ही वह छोटे-छोटे काम छोड़ अपने बड़े कर्तव्य में तत्पर हो जाता है।
इसी तरह बाप तो केवल इस कल्प की अर्थात् आपको कुछ समय पहले की ही याद दिला रहा है ताकि आप अपनी position में स्थित हो अपना बेहद का कर्तव्य करो।
बस बच्चे, बार-बार अपनी स्मृति का switch on कर अपनी स्व-स्थिति के आसन पर स्थित हो अपने कर्म-व्यवहार में आओ, तो जल्दी ही आप बच्चे बाप के साथ विश्व-परिवर्तन का कार्य कर पाओगे…।
अच्छा । ओम् शान्ति ।
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