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Om Shanti
30.05.2018
★【 आज का पुरुषार्थ 】★
बाबा ने कहा…
बच्चे, शान्ति आप बच्चों का स्वधर्म है, यह हमेशा आप बच्चों को याद रहता है क्या…?
क्योंकि अब समय अनुसार शान्तचित अवस्था बनानी अति आवश्यक है, जबकि जाना ही आवाज़ की दुनिया से दूर है अर्थात् सूक्ष्म वतन और मूल वतन दोनों में ही आवाज़ नहीं है और जो आत्मा शांतचित होगी वो ही अपने फरिश्ता और बिन्दु स्वरूप में अधिक समय तक स्थित हो सकेगी अन्यथा यह दुनिया और इस दुनिया की विभिन्न बातें आपको अपनी तरफ खिंचेगी…।
देखो बच्चे, धीरे-धीरे सेवा का रूप भी परिवर्तन हो जायेगा।
दृष्टि से सृष्टि परिवर्तन होगी, इसी का गायन है ना…!
जितना आप आवश्यकता अनुसार आवाज़ में आओगे अर्थात् साधारण बोल और व्यर्थ बोल से बचोगे, उतनी आपकी दृष्टि powerful होगी और फिर दृष्टि द्वारा सेवा शुरू हो जाएगी…।
अभी आप बच्चों को अपने बोल पर attention रखना है और यह पुरूषार्थ बहुत सहज रीति करना है अर्थात् हल्के रहकर करना है। बस attention रखना है कि मैं क्या बोल रहा हूँ…!
बच्चे, धैर्यता पूर्वक हर पुरूषार्थ करो … जल्द बाज़ी मत करना…। बाप (परमात्मा पिता) को संग रख स्वयं के ऊँच स्वमान में स्थित हो आगे से आगे बढ़ो…। सफलता तो आप बच्चों का ही जन्म-सिद्ध अधिकार है…।
देखो बच्चे, बाप है Supreme light … सभी गुणों और शक्तियों से भरपूर … और आप बच्चे भी light ही हो।
और जब आप भी बाप-समान बन जाओगे तो बाप से मिलन मना पाओगे।
इसलिए स्वयं को light समझ सभी गुणों और शक्तियों से स्वयं को भरपूर रखो … अर्थात् आपकी दृष्टि से, बोल से, कर्म से सभी गुण और शक्तियाँ emerge रूप में नज़र आनी चाहिए जिससे आपके सभी कार्य automatically होते रहेंगे। फिर बाप के साथ-साथ आप भी प्रत्यक्ष हो जाओगे…।
अच्छा। ओम् शान्ति।
【 Peace Of Mind TV 】
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