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Om Shanti
29.05.2018
★【 आज का पुरुषार्थ 】★
बाबा ने कहा…
बच्चे, अब सदा जागृत अवस्था में रहो अर्थात् अपने उच्चतम् स्वमान के स्मृति स्वरूप बन जाओ…।
देखो बच्चे, साधारण मनुष्य आत्मा का बोलना, सोचना, करना सब साधारण होता है और ऊँच post वाली मनुष्य आत्मा की मन्सा-वाचा-कर्मणा सब ऊँच होगी…।
वो छोटी-छोटी बातों में अपना समय व्यर्थ नहीं करेगा…।
तुम सोचो तो सही कि तुम कौन हो…? तुम्हारा कर्तव्य क्या है…? तुम्हें रोज़ कौन पढ़ाने आ रहा है…?
फिर तो ऊँचे से ऊँचे बाप, ऊँचे से ऊँची पढ़ाई और अपने उच्चतम् भाग्य को कैसे भूल जाते हो…? बच्चे, अब तो आपको हर पल यह स्मृति रहनी चाहिए कि हम है आदि रत्न, विश्व का परिवर्तन करने वाले, पतित दुनिया को पावन बनाने वाले…।
हमारी वृति से ही विश्व की सभी आत्माओं की वृति परिवर्तन हो जाएगी…।
बच्चे, अपनी लौकिक सभी ज़िम्मेवारियां बाप हवाले कर अपने उच्चतम् स्वमान में अर्थात् जो आप हो उसमें स्थित हो कर्म-व्यवहार में आओ…।
जब आप अपने original स्वरूप के स्मृति स्वरूप बन जाओगे तो आपकी वृति परिवर्तन हो जाएगी जिससे automatically दृष्टि और कृति भी परिवर्तन हो जाएगी…।
तो अब high jump लगाकर मंज़िल पर पहुँचना अर्थात् सदा स्मृति स्वरूप रहना…।
बच्चे, यह पुरूषार्थ आपको धैर्यता पूर्वक करना ही पड़ेगा…। ज्यादा सोचने से या क्या, क्यों, कैसे में जाने से कुछ नहीं होगा…। बस आत्मा भारी हो जाएगी और अपनी seat से उतर माँगने वालों की line में लगना पड़ेगा, देवता की जगह लेवता बनना पड़ेगा…!
इसलिए पुरूषार्थ की विभिन्न विधि में स्वयं को busy रखो … परमात्मा बाप के साथ का use करो…।
हल्के और खुश रह, उमंग-उत्साह के साथ पुरूषार्थ करो…।
दुनिया में तो दुःखों की अति होने वाली है, उससे पहले दुःखहर्ता – सुखकर्ता बन अर्थात् बाप की अँगुली पकड़ ऊँची स्थिति में स्थित हो विश्व-कल्याण का कार्य करो…।
अच्छा। ओम् शान्ति।
【 Peace Of Mind TV 】
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