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Om Shanti
28.06.2018
★【 आज का पुरुषार्थ 】★
बाबा ने कहा…
बच्चे, अपने ऊँच स्वमान के स्मृति स्वरूप रहना…।
आपको यह हमेशा स्मृति रहनी चाहिए कि आप master दाता हो … अर्थात् मन्सा, वाचा, कर्मणा … तन, मन, धन … हर तरफ से सभी के सहयोगी बनने वाले हो…।
इसलिए, सदा अपने ऊँच स्वमान के स्मृति स्वरूप रहना है…, और सभी के दिलों को आराम देने वाले master दिलाराम भी आप बच्चे ही हो…।
बच्चे, तुम हो master भगवान अर्थात् विश्व-कल्याणकारी अर्थात् दाता अर्थात् तन, मन, धन, सम्बन्ध, सम्पर्क … हर चीज़ में सुख देने वाले अर्थात् परिवर्तन कर्ता…।
यह कार्य कौन कर सकता है…?
जो बच्चे, स्वयं इन सब चीज़ों से न्यारे हो अर्थात् जिन बच्चों में सम्पूर्ण समर्पण भाव हो अर्थात् मन-बुद्धि बिल्कुल खाली हो … कहीं भी उलझी या फँसी हुई ना हो…।
वो आत्मा ही सर्व कल्याणकारी बन सकती है…।
देखो, भक्त भी देवी-देवताओं से ही तन्दुरूस्त तन, सद्बुद्धि, धन और सुखमय सम्बन्ध-सम्पर्क चाहते हैं … अर्थात् जो भी कमी होती है, वो उनसे ही माँगते है और जब आप इन सब चीज़ों के बीच में रहते, इन सबसे न्यारे अर्थात् कीचड़ में रहते diamond बन जाते हो अर्थात् diamond, आप तभी बन सकते हो, जब आप बाप पर 100% निश्चय रख सदा समर्पण भाव के साथ रहते हो…।
परिस्थितियाँ आपको परिपक्व बनाने के लिए और ऊँच पद दिलाने के निमित्त आती है, इसलिए हर तरफ से full pass होते आगे बढ़ते जाओ…।
चाहे कोई भी paper हो, चाहे अपनी ही कमी-कमज़ोरी का paper क्यों ना हो…!
बस बिन्दु बन, बिन्दु बाप (परमात्मा पिता) के संग बैठ जाओ…। तब ही आप बाप-समान बन सकते हो…।
यह परिवर्तन बिल्कुल अचानक और papers के बीच ही होना है, बस आप निश्चय रखो और धैर्यता के गुण को अपने साथ बांधे रखना, विजय आप बच्चों की ही है…।
बाप हर पल, अर्थात् बाप की 100% नज़र आप बच्चों के ऊपर ही है…।
अच्छा। ओम् शान्ति।
【 Peace Of Mind TV 】
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