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Om Shanti
20.06.2018
★【 आज का पुरुषार्थ 】★
बाबा ने कहा…
बच्चे, love and light का अभ्यास करते रहो…।
इसी अभ्यास से आप बच्चों समेत सारे तत्व भी अपने original स्वरूप में आ जायेंगे अर्थात् उनकी भी सफाई होती है और सच्चाई भी सामने आती है।
इसलिए अब जबकि अन्त का भी अन्त है तो इस अभ्यास की अत्यधिक आवश्कता है।
बस स्वयं को light समझना है और सबसे प्यार करना है … अर्थात् शुभ भावना, शुभ कामना सम्पन्न बनना है।
(Love and light का अभ्यास अर्थात् अब आपको feel होना चाहिए कि आप light के शरीर में point of light हो और आपसे प्रेम का प्रकाश फैलता चला जा रहा है … जोकि सभी आत्माओं के साथ-साथ प्रकृति के पाँचों तत्वों को भी पहुँच रहा है…)
बस आप बच्चे बाप की श्रीमत् प्रमाण चलते चलो…।
अपनी मन-बुद्धि ज्यादा मत चलाओ … ‘एक बल – एक भरोसा’ रख चलो…।
जो बच्चे विजयी रत्न होते हैं वो शिवबाबा पर 100% निश्चय रख अर्थात् श्रीमत् में मनमत mix ना कर निश्चयबुद्धि बन बाप (परमात्मा पिता) की एक-एक बात पर निश्चय रख चलते है … और बाकि आत्मायें बाप की श्रीमत् पर चलते-चलते मनमत और परमत mix कर अलबेलेपन में आ अपना भाग्य नम्बरवार बना लेते है…।
देखो बच्चे, जब बाप direct आप थोड़े से बच्चों को पढ़ाने आया है तो वो समय देखकर ही आया है कि अब मुझे बच्चों को सम्पन्न और सम्पूर्ण बना अर्थात् उन्हें उनका पूरा भाग्य दे उन्हें उनकी seat पर समय से पहले set करना है अन्यथा बच्चों का सम्पन्न बनना नामुमकिन हो जायेगा…!
यदि समय होता तो बाप भी कुछ और समय इंतज़ार के बाद आता परन्तु आप बच्चे 100% निश्चय रख धैर्यतापूर्वक चलते चलो…। यह धैर्यता का गुण एक second में सम्पन्नता में परिवर्तन हो जायेगा…।
‘एक बल – एक भरोसा’ … ‘एक बाप दूसरा ना कोई’ … अर्थात् निश्चय बुद्धि विजयन्ती…।
अच्छा। ओम् शान्ति।
【 Peace Of Mind TV 】
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