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Om Shanti
16.08.2018
★【 आज का पुरूषार्थ】★
बच्चे, इस समय बाप (परमात्मा पिता) आपसे जुदा नहीं…!
पहले जहाँ बाप वहाँ बच्चे … और अब तो जहाँ बच्चे हैं, वहाँ बाप है…।
जो यह बिल्कुल अंतिम समय अर्थात् यज्ञ की अंतिम आहुति का समय जा रहा है, तो सारे परिवार के प्यार से ही sample तैयार होता है।
देखो, बाप आपके साथ-साथ आपकी देह का भी बहुत सहज रीति स्वयं खड़ा हो, परिवर्तन करवा रहा है … आप बैफिक्र रहो … जो कुछ हो रहा है … उसे बहुत प्यार से और खुशी-खुशी cross करो…।
बच्चे, किसी भी चीज़ का परिवर्तन सहज नहीं होता … और यहाँ तो बाप आपकी देह को भी तमोप्रधान प्रकृति के बीच रहते सतोप्रधान बना रहा है…, जोकि पूरे कल्प में अभी तक किसी की भी नहीं हुई है…।
इतने बड़े काम में थोड़ा समय तो लगता है…!
बस, अब तो यह कार्य भी सम्पन्न्ता की तरफ है। आप अब सहज रीति बस बाप को समर्पण हो आगे से आगे बढ़ते रहो…।
इसलिए बच्चे, जो आप यह अभ्यास कर रहे हो, ये बहुत उच्चतम् अभ्यास है। इसी अभ्यास से आप 100% बाप-समान बन जाओगे…।
जो आप बार-बार पुराने को खत्म कर बाप-समान ऊँच authority रूपी स्वमान में स्थित हो जाते हो और हर पल मौज में रह रहे हो, ये आपको झटके से इस दुनिया से न्यारा और बाप-समान बना सारी दुनिया का प्यारा बना देगा…।
ये अभ्यास आप सभी को बताओ, ताकि सब जल्द से जल्द अपनी seat पर पहुँच सकें…। जैसे; जब भी दर्पण के सम्मुख जाते हो, तो उसी समय महसूस करो कि ये मैं नहीं हूँ … मैं तो एक श्रेष्ठतम् आत्मा हूँ…।
इसी तरह इस तन को जब कुछ खिलाओ-पिलाओ, तो भी यह ध्यान रखो कि – ये मैं नहीं … मैं इस तन की … इस परिवार की care taker हूँ…।
कोई भी पुरानी बात, पुराना हिसाब-किताब सम्मुख आता है तो उसी पल ध्यान रहे कि – यह तो मेरा role है … मैं तो बाप-समान विश्व-कल्याणकारी, विश्व-परिवर्तक आत्मा हूँ…।
इससे आपकी स्थिति निश्चिन्त, हल्की, सन्तुष्ट और खुशनुमा हो जायेगी, और हर पल अपने बाप और अपने धाम (शान्तिधाम और सुखधाम) की स्मृति में रहो … साथ ही साथ रूहानी नशे में भी जो आपको आनन्द से भरपूर कर देगा…।
अच्छा। ओम् शान्ति।
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