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Om Shanti
12.10.2018
★【 आज का पुरूषार्थ】★
जहाँ आकर्षण है, वहाँ असंतुष्टता है … और जहाँ असंतुष्टता है वहीं हलचल है…।
जबकि इस तमोप्रधान दुनिया में आकर्षण बहुत बढ़ रहा है तो हलचल भी बहुत बढ़ रही है, जिससे सभी आत्मायें बहुत दुःखी और परेशान हो रही हैं और यह सब कुछ अति में जाना ही है।
चाहे लौकिक परिवार, चाहे अलौकिक सब जगह परेशानियाँ बढ़नी ही है, ऐसे समय में जबकि बाप आप बच्चों को सभी जगह से न्यारा कर विशेष पालना दे रहा है, तो आप बच्चों को भी अपनी स्व-स्थिति की तरफ विशेष attention रखना चाहिए।
यदि आप सोचते हो कि मैं वाचा, कर्मणा या संकल्प द्वारा इन सब परिस्थितियों को दूर कर दूँ, तो यह सम्भव नहीं है…! क्योंकि आपको पहले स्वयं को सम्पूर्ण रीति तैयार करना पड़ेगा अर्थात् इन सब तरह की बातों से स्वयं को न्यारा कर powerful बनाना पड़ेगा, तब ही आपकी powerful स्थिति आपके आस-पास के हलचल को खत्म कर सकेगी।
इसलिए स्वयं को अचल-अडोल बनाना है, जो आप केवल बाप की श्रीमत प्रमाण ही कर सकते हो…।
आपको यह स्मृति रहनी चाहिए कि मेरी स्वयं की स्थिति से ही परिस्थिति खत्म होगी और जितनी मेरी स्व-स्थिति powerful होगी, उतना ही उसका प्रभाव दूर-दूर तक जायेगा…।
इस समय स्वयं को हर बात से न्यारा कर अपनी स्व-स्थिति बनानी है … फिर यही आपकी स्व-स्थिति आपको स्वयं ही सबका प्यारा बना देगी … इसलिए, स्वयं पर full attention रखो…।
देखो, यही समय है पुरूषार्थ का … फिर कल्प में कभी भी आपको यह समय नहीं मिलेगा…, और पुरूषार्थ के बिना प्रालब्ध भी नहीं बन सकती…!
इसलिए स्वयं को हर बात से न्यारा कर अपनी हर समस्या, चाहे किसी भी तरह की हो, बाप को संकल्पों द्वारा समर्पण कर बाप की श्रीमत् पर पूरा-पूरा चलने का पुरूषार्थ करना है।
अब पुरूषार्थ का समय बहुत ही limited रह गया है…।
आप सभी को अपने को सदा चमकता हुआ सितारा अनुभव करना है।
आपको सदा feel होना चाहिए कि आप light house – might house बन मस्तक के बीच चमक रहे हो।
जितना-जितना आप स्वयं को अनुभव करते जाओगे, उतना ही औरों को आपसे साक्षात्कार होगा। इसलिए आप अपना attention और अभ्यास बढ़ाओ, तभी आप स्वयं को अनुभव कर पाओगे।
जब आप अपने को यह शरीर ना समझ light house और might house समझोगे तब आपको इतनी खुशी और शान्ति की अनुभूति होगी जो अभी तक आपने कभी नहीं की…।
देखो, आपके एक-एक second की planning बाप की है, इसलिए जब आप कार्य-व्यवहार में आते हो, तो कोई कुछ गलत करता है या कोई नुकसान करता है … तो आप बाबा (परमात्मा पिता) को साथ रख उसे बहुत प्यार से समझानी दे दो और फिर वो सारी बात बाप को दे, उससे न्यारे हो अपने पुरूषार्थ में लग जाओ…।
आपको अपनी संतुष्टता की seat को कभी नहीं छोड़ना है … क्योंकि बाबा आपके साथ है और वो हर अकल्याण को कल्याण में बदल देगा परन्तु तब जब आप अपनी seat पर set रहोगे…।
अच्छा। ओम् शान्ति।
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