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Om Shanti
12.11.2018
★【 आज का पुरूषार्थ】★
बाबा हम बच्चों का श्रेष्ठ स्वमान और श्रेष्ठ भाग्य देख रहा था, तो बाबा ने देखा कि … बच्चे ऊँच स्वमान को जान भी गए हैं और मानते भी हैं कि मैं ही हूँ…।
लेकिन सारा दिन उस ऊँच स्वमान के नशे में स्थित हो चलने में नम्बरवार हैं…।
फिर बाबा ने कहा … बच्चे, जितना आप अपने ऊँच स्वमान के निश्चय और नशे में रहोगे उतना ही आपका पुरूषार्थ सहज हो जाएगा अर्थात् मेहनत मुक्त होते जाओगे…।
आपका सम्पन्न स्वरूप अर्थात् फरिश्ता स्वरूप, शक्तियों और गुणों से भरपूर है … उसके आगे कोई परिस्थिति टिक नहीं सकती…, वो तो विश्व परिवर्तन का कार्य करने वाला है…।
इसलिए आप बच्चों में इतना निश्चय और नशा होना चाहिए कि मैं ही हूँ … विश्व-परिवर्तक आत्मा…।
यह स्वयं परमात्मा ने आप बच्चों को स्मृति दिलाई है कि आप कौन हो, फिर तो आपको अपने स्वरूप में स्थित रह गुणों और शक्तियों को use करना चाहिए…।
अब आप अपनी दिनचर्या में इस अभ्यास को बढ़ाओ … स्मृति स्वरूप बनो…।
देखो, लौकिक में भी किसी के पास कितना भी धन हो, वो जानता भी हो और मानता भी हो परन्तु उस धन को स्वयं के लिए use ना करे तो उस धन का तो उसके लिए कोई फायदा नहीं है ना…!
इसी तरह जब तक आप अपनी शक्तियों और गुणों को emerge रख use नहीं करते तब तक आप कमज़ोर रह हार खाते रहते हो … इसलिए अब विस्मृति से स्मृति स्वरूप बन स्वयं के साथ-साथ विश्व का भी कल्याण करो…।
देखो, समय कम है और लक्ष्य ऊँचा है, तो अब बार-बार अपने सम्पूर्ण स्वरूप को धारण करो। अंत में यही अभ्यास आपको बाप समान बना देगा।
स्मृति का switch हमेशा on रखो … स्वयं को परिवर्तन कर सम्बन्ध-सम्पर्क में आने वाली आत्माओं का भी परिवर्तन करना है, तो विश्व का भी…। इसलिए विस्मृत हो समय व्यर्थ मत करो…।
बच्चे, अब महसूस करो कि … मैं आत्मा light हूँ … और मेरे चारों तरफ शान्ति ही शान्ति है … इस शान्ति में प्रेम, पवित्रता, सुख और आनंद है … असीम आनंद है…।
बस बच्चे, आप अपने मंसा-वाचा-कर्मणा पर attention रखो…।
दृढ़ संकल्पधारी बच्चों को हर पल बाप (परमात्मा शिव) की मदद है, पर करना तो आप बच्चों को ही है…।
अच्छा। ओम् शान्ति।
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