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Om Shanti
12.07.2018
★【 आज का पुरूषार्थ】★
बाबा ने कहा…
बच्चे, अब जल्दी से बाप-समान बन, बाप (परमात्मा पिता) की बाँहो में समा जाओ…।
(तो बच्चों ने कहा … बाबा, हमें भी बहुत जल्दी है कि हम भी आप-समान बन आपकी बाँहो में समा, अतिन्द्रिय सुख का अनुभव करें…)
फिर बाबा ने कहा…
बच्चे, इसके लिए प्रवृति में रहते यह ध्यान रखना है कि आपको एक तो सदा एकरस स्थिति में स्थित रहना है, दूसरा जो आपने अपना तन, मन, धन, जन … बुद्धि से शिवबाबा को समर्पित किया है, तो उसमें फिर आपकी आसक्ति ना हो, अर्थात उसमें मन-बुद्धि ना जाये…।
देखो बच्चे, जो आपने तन बाबा को समर्पण किया है, शिवबाबा आपसे भी अच्छी तरह इस तन की संभाल भी करेगा और सहज रीति हिसाब-किताब चुक्तु करवा देगा…।
इसी तरह मन में जो संकल्प आये वो भी बाप को सौंपने पर बाप आपके संकल्पों को श्रेष्ठ बना देगा, शुभ भावना … शुभ कामना से संपन्न कर देगा … और आपको कभी भी धन की भी कमी नहीं होने देगा … और साथ ही आपको ज्ञान-धन से भी इतना भरपूर कर देगा कि आप जन्म-जन्मान्तर तक धन-धान्य सम्पन्न बन जाओगे…।
जन अर्थात् सम्बन्ध-संपर्क में आने वाली आत्माओं की भी अच्छी रीति संभाल कर, उनके सहज रीति हिसाब-किताब चुक्तु करवा अपने साथ ले जायेगा…।
इसलिए बच्चे, आपको सम्पूर्ण रीति समर्पण होना है…।
यदि अभी भी इनमें आपका समय गया या मन-बुद्धि गई, तो आप फँस जाओगे और दूसरा आपको बहुत ज्यादा निश्चय भी होना चाहिए…।
जैसे एक छोटे बच्चे को माँ-बाप पर संपूर्ण निश्चय होता है, तो माँ-बाप भी बच्चे की इतनी संभाल करते हैं कि जब भी कोई problem आती है तो वो तुरंत ही अपने बच्चे को अपनी गोदी में छिपा लेते हैं…, जैसे रास्ते में कीचड़ आये तो भी, सफर में कोई गन्दा side scene आये तो भी, माँ-बाप अपने बच्चे को गोदी में छिपा लेते है कि मेरा बच्चा ना देखें…। अर्थात् वो अपने से ज्यादा अपने बच्चे का ध्यान रखते हैं…।
शिवबाबा तो हमेशा बच्चों के श्रेष्ठ भाग्य के गीत गाता है, और बच्चों पर नज़र पड़ते ही बाबा वाह वाह बच्चे…, कहता है…।
इस तरह आपको भी अपने ऊँच से ऊँच, श्रेष्ठ से श्रेष्ठ स्वमान में स्थित हो, श्रेष्ठ से श्रेष्ठ अर्थात् बाप-समान बन जाना है…।
अच्छा। ओम् शान्ति।
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