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01.11.2017
“आज बाबा ने कहा “
ओम् शान्ति ।
बच्चों के मन की एक ही आशा है कि हम बाप-समान बन बाप से मिलन मनाएं…।
तो बच्चे, इस powerful संकल्प का उत्पन्न होना ही अर्थात् इस संकल्प के उत्पन्न होने से आनन्द और शक्ति का अनुभव होना ही, समय को समीप लाना है।
बच्चे, बाप को भी इसी समय का इंतज़ार है कि बाप सिकीलधे बच्चों को अपने समान बनाकर मिलन मनाएं।
बस बच्चे, वह समय भी आया कि आया … बार-बार इस संकल्प को स्मृति में लाओ … फिर बहुत जल्द ही आप भी बाप-समान इस दुनिया से न्यारे होते जाओंगे। यह बाप से अटूट प्यार ही दुनिया से वैराग्य लायेगा। जब केवल एक बाप से प्यार करने में आनन्द और खुशी की प्राप्ति होगी तो स्वतः ही मन और सबसे हटता जायेगा।
मन में एक ही संकल्प हो कि सबकुछ तेरा, बस बाबा एक तू मेरा…, और इसी एक संकल्प से अदभुत खुशी की अनुभूति होती रहेगी और इसे ही सहज मिलन कहेंगे अर्थात् इस दुनिया में रहते, कर्म-व्यवहार को बड़ी युक्ति-युक्त ढंग से करते भी, मन और बुद्धि केवल शिव बाप के प्यार में समाई रहेगी … इसे कहते है करते हुए भी कुछ ना करना … बिल्कुल हल्कापन, automatically भी सबकुछ बहुत अच्छे ढंग से होता रहेगा अर्थात् हमारे हर कर्म से बाप का साक्षात्कार होता रहेगा और हम बाप के प्यार में आनन्द ही आनन्द का अनुभव करते रहेंगे।
अच्छा ।
ओम् शान्ति ।