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ओम् शान्ति ।
बाबा बच्चों को रोज़ कहता है, बच्चे बाप पर निश्चय रखो और हल्के रहो, तो क्या आप अपने लौकिक बच्चों को भी कहते हो कि मुझ पर निश्चय रखो…, नहीं ना…!
परन्तु मैं बाप आपको बार-बार एक ही बात कह रहा हूँ, क्योंकि बाप को पता है कि कहीं बच्चे थक ना जायें…!
यह जो अन्तिम समय जा रहा है, हिसाब-किताब क्लीयर करने का है । यह इतना सहज भी नहीं है । इसलिए बच्चे थोड़ा हलचल में आ जाते हैं, परन्तु देखो सबकुछ की आदि आप बच्चों से ही होती है – चाहे सतयुग की, चाहे द्वापर की, चाहे संगमयुग की, फिर हिसाब-किताब क्लीयर करने की आदि भी आप बच्चों से हुई है ।
हिसाब-किताब क्लीयर करना अर्थात् सम्पन्न और सम्पूर्ण बनना अर्थात् परिवर्तन का नगाड़ा बजना, इसलिए धैर्यतापूर्वक मेरा बाबा … मेरा बाबा … करते रहो । बाबा आप बच्चों के हर पल साथ है, फिर तो विजय हुई पड़ी है ना…।
निश्चयबुद्धि विजयन्ती का गायन भी आप बच्चों का ही है ।
देखो, बाबा ने कभी भी किसी भी आत्मा से गृहस्थी या कोई कर्म छुड़वाया नहीं है । बस, बाबा ने यहीं कहा कि
‘‘पवित्र बनो – योगी बनो’’
क्योंकि कल्प के अन्तिम समय में पवित्रता और बाप की याद के बिना इस पुरानी दुनिया में केवल दुःख-ही-दुःख है, इसलिए पवित्र और योगी बनने में यदि किसी भी तरह की कोई बाधा है, कोई भी आत्मा या कोई भी कार्य आपको आपके रास्ते में रूकावट स्वरूप बन जाता है, तो उसे छोड़ने में आपके कल्याण के साथ-साथ उसका भी कल्याण समाया हुआ है । यज्ञ की आदि में पवित्रता की वजह से माताओं और कन्याओं ने घरों का त्याग किया क्योंकि वह त्याग उस समय अति आवश्यक था और वह त्याग उनका भाग्य बन गया ।
बच्चे, किसी भी तरह का कोई बन्धन वा चिन्ता आत्मा को आगे बढ़ने नहीं देती । एक निश्चिंत और निर्बंधन आत्मा ही उड़कर अपनी मंज़िल को प्राप्त कर सकती है इसलिए चेक करो, फिर चेन्ज करो ।
अच्छा । ओम् शान्ति ।
BABA ki baat Manama hai. BABA par vishvash Karna hai. Apani sap ko khoj Kar andar change karna hai.
Om Shanti Baba, many many thanks, boyut din se a MahaVakya koji raha tha lakin mila nahi (website may dekha),koi galti se milta nahi.aj achanak tum Mila dia. Very very happy.
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